बात कुछ घंटों पहले की हो या कुछ सालों की उसे गुज़रा कल ही कहते हैं वो याद कुछ घड़ी भर की हो या एक अरसा जुड़ा हो उस याद से उसे बीते पल ही कहते हैं जुदा हुए कुछ लोग हों , या कुछ टूटी उमीदें बाकी सिर्फ यादें ही बचती हैं यादों में खो जाते हैं अक्सर हम और ज़िन्दगी बदली हुई सी लगती है कुछ आँखों में चमक लाती हैं कुछ चेहरे पे मुस्कुराहट और कुछ बस नम आँखों का एहसास छोड़ जाती हैं कुछ होठों को यूँ अचानक कुछ कह देने के लिए खुला छोड़ जाती हैं और कुछ घंटों तक चुप रहने का बहाना दे जाती हैं ये मन बस यादों में जाने के बहाने ढूंढता है भागती दौड़ती ज़िन्दगी को यु अचानक रोक कर मीलों पीछे भेज देता है कोई आवाज़ , कुछ शब्द , कोई तस्वीर , या फिर बस कागज़ का एक फटा हुआ सा पन्ना ही ज़िन्दगी के रेडियो का स्टेशन बदल देता है “कुछ कहा था उसने मुझसे , काश मैं भी कुछ कह देता ” “क्यों मैं चल दिया वहाँ से , काश खुद को रोक...
Life is all about perspectives. Here’s mine…