Skip to main content

Posts

Showing posts from September, 2010

कल

बात कुछ घंटों पहले की हो या कुछ सालों की उसे गुज़रा कल ही कहते हैं वो याद कुछ घड़ी भर की हो या एक अरसा जुड़ा हो उस याद से उसे बीते पल ही कहते हैं जुदा हुए कुछ लोग हों , या कुछ टूटी उमीदें बाकी सिर्फ यादें ही बचती हैं यादों में खो जाते हैं अक्सर हम और ज़िन्दगी बदली हुई सी लगती है कुछ आँखों में चमक लाती हैं कुछ चेहरे पे मुस्कुराहट और कुछ बस नम आँखों का एहसास छोड़ जाती हैं कुछ होठों को यूँ अचानक कुछ कह देने के लिए खुला छोड़ जाती हैं और कुछ घंटों तक चुप रहने का बहाना दे जाती हैं ये मन बस यादों में जाने के बहाने ढूंढता है भागती दौड़ती ज़िन्दगी को यु अचानक रोक कर मीलों पीछे भेज देता है कोई आवाज़ , कुछ शब्द , कोई तस्वीर , या फिर बस कागज़ का एक फटा हुआ सा पन्ना ही ज़िन्दगी के रेडियो का स्टेशन बदल देता है “कुछ कहा था उसने मुझसे , काश मैं भी कुछ कह देता ” “क्यों मैं चल दिया वहाँ से , काश खुद को रोक