कल रात यूँ ही एक ख्याल आया मन में कि आखिर तू कौन है और करता क्या है दिन भर आकाश के बदलते रंग और रात में तारे बताते हैं कि तू कलाकार है खुद शायद यूँ तो कला को ही तेरा नाम देते सुना लोगों को किस्मतें लिखी हैं जैसे तूने सब की अगर ज़मीं पे होता तू तो किताबें लिखता ज़रूर तू और हर किताब में कुछ पहेलियाँ लिखकर उसके किरदारों के सुलझाने के लिए छोड़ देता लोग तो कहते हैं तू सब के दिलों में बसता है जब टूट जाते हैं दिल तब भी क्या तू वहीँ रुकता है आवाज़ें वैसे तो बहुत आती हैं अन्दर से तेरी ऐसे में शायद तू बाहर से एक आवाज़ का इंतज़ार करता है आवाज़ आते ही जैसे वक्त की ईंटों से तू पहले से और मज़बूत एक घर अपने लिए फिर से बना लेता है पर कहानी लिखी है अगर ये भी तूने ही तो फिर कुछ
Life is all about perspectives. Here’s mine…