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Showing posts from December, 2011

बस यूँ ही

कल   रात   यूँ    ही   एक   ख्याल   आया   मन   में कि   आखिर   तू   कौन   है   और   करता   क्या   है दिन   भर   आकाश   के   बदलते   रंग और   रात   में   तारे   बताते   हैं कि   तू   कलाकार   है   खुद   शायद   यूँ    तो   कला   को   ही   तेरा   नाम   देते   सुना   लोगों   को किस्मतें   लिखी   हैं   जैसे   तूने   सब   की अगर   ज़मीं   पे   होता   तू   तो   किताबें   लिखता   ज़रूर   तू और   हर   किताब   में   कुछ   पहेलियाँ   लिखकर उसके   किरदारों   के   सुलझाने   के   लिए   छोड़   देता लोग   तो   कहते   हैं   तू   सब   के   दिलों   में   बसता   है जब   टूट   जाते   हैं   दिल   तब   भी   क्या   तू   वहीँ   रुकता   है आवाज़ें   वैसे   तो   बहुत   आती   हैं   अन्दर   से   तेरी ऐसे   में   शायद   तू   बाहर     से   एक   आवाज़   का   इंतज़ार   करता   है आवाज़   आते   ही   जैसे   वक्त   की   ईंटों   से   तू पहले   से   और   मज़बूत   एक   घर   अपने   लिए   फिर   से   बना   लेता   है पर   कहानी   लिखी   है   अगर   ये   भी   तूने   ही   तो   फिर   कुछ